Friday, January 13, 2023

ग़ज़ल -ए- सीखा

 सीखा ( लोपामुद्रा)


तरकीब को कर शरीख़ ज़िन्दगी जीती जाती हूँ,

"सीखा" नाम से रूबरू हुए, सबक सीखाती जाती हूँ।


अबरार-ए-दानिश को संग लेकर कायनात चाहती हूँ,

अपने क़दमों को रफ़्ता-रफ़्ता किस्मत संग चलना चाहती हूँ।


तहजीब-ए-जीस्त सीखाया है सबने, सुनती जाती हूँ,

ख़ुद को तवज्जो दिए, अब नज़्म-ए-खास सी सजती हूँ।


आफ़ताब को आईना दिखाने की हिम्मत भी रखती हूँ,

ख़ामोश निगाहों से अब्र को ताक ख़ुद बारिश बन जाती हूँ।


शब-ए-फ़िराक में भी बहारों के ख़्वाब से नशीमन होती हूँ,

ख़ुद ही बन ख़ुद की माशुका, आजमाइश ख़ुद की करती हूँ।


ख़्वाबगाह से ख़्वाब चूरा कर रंगों से सराबोर करती हूँ,

इज़्ज़त अफ़जाई के हक़ को हमेशा तवज्जो देती रहती हूँ।


नेमत-ए-जीस्त समझकर हमदर्द ख़ुद को बनाती हूँ,

तूफ़ान सा उफ़ान बनती, सागर की ठंडक भी बनती हूँ।


तकल्लुफ-ए-ज़िन्दगी को कर दर किनार चलती हूँ,

सुर्ख लबों पर मुस्कान रख ज़िन्दगी की लुफ़्त उठाती हूँ।


"सीखा" संग फलक तक का सफ़र अकेले तय करती हूँ,

कारवां गुज़रे ना कभी, हौसला अफजाई ख़ुद की करती हूँ।


बज़्म-ए-महफ़िल में बात होती है हमेशा एहसासों की,

ज़िन्दगी संग ग़ुफ़्तगु कर दानिश -ए-रोशनदान बनना चाहती हूँ।



// लोपामुद्रा //... काव्य प्रतिरूप

 // लोपामुद्रा //

🔆🌸🔆🌸🔆

लो- लोगों के दिल में रहने वाली

पा- पावन हृदय में प्रेम संजोने वाली

मु- मुश्किलों से लड़ते हुए आगे बढ़ने वाली

द्रा- द्राव्य की तरह हर रिश्तों में घुल जाने वाली


लोपामुद्रा- नायाब तारे का नाम, 

दक्षिण दिशा की शान है,

अगस्त्य मंडल में उदित होता है,

एक विदूषी और वेदाज्ञी नारी

अगस्त्य मुनि की धर्म पत्नी कहलाती है।


पांड्य राजा मलयध्वज की पुत्री है,

कृष्णेक्षणा के नाम से जानी जाती है,

ऋग्वेद में कई मंत्र श्लोक की जन्मदात्री है,

ज्ञान दर्पण वो आध्यात्मिकता की प्रतिष्ठात्री है।


सहनशीलता, क्षमा, दयालु और तपस्वी है,

ललिता सहस्रनाम स्तोत्र पाठ की प्रचारिका है,

महाभारत, ब्रह्मपुराण में मंत्रों संग स्थापित है,

ललितोपाख्यान में श्लोक में समाई शिक्षिका है।


धन्य है मेरे माता पिता जो नाम चयन ऐसा किया,

एक विदूषी संग उम्र भर के लिए रिश्ता जोड़ दिया।

अर्थ जान कर अभिभूत हो रहे हैं अपने नाम संग,

लोपा या कोशीतकी, परिचय प्रदान अनोखा किया।


वरप्रिया है, हृदय में प्रेम धारा बरसा कर स्थापित हो,

ऐसा कुछ जीवन में खुशियों का संभार है ईश ने दिया,

लेखन जगत में कदम रखकर, मूल्यांकन हम कर पाए,

"लोपामुद्रा" के नाम से पहचान बना, ख़ुद को मान दिया।


जीवन मंत्र को सिद्ध करने को तैयार हमेशा रहती है,

प्रतिकूल परिस्थितियों में अनुकूलता ढूँढती रहती है,

हर व्यक्ति के हृदय में प्यार से सजना हमेशा चाहती है,

सहायक बन, सबको सम्मानित कर, सबके संग चलती है।



Wednesday, August 24, 2022

दोहा- भक्ति वंदन

 दोहा- भक्ति वंदन

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// ईश मेरे शाम //
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ईश तेरा छप छड़ जग, तू जाय कहूं ओर।
तुम बिन यज्ञ तप नाही, तुम संग सब छोर।।

देह मन सब तेरा ईश , तुम सकल आधार।
धन जन मन सब तेरा ईश, ना कोई आकार।।

राधा माधव रास रच, मन मगन सबका हो।
काहे पीड़ा रखे तू, ममता में रमा हो।।

भय ना कर कल की सोच, आज मैं जी जा तू।
फल की आशा ना कर अब, कर्म करता जा तू।।

आशिष मिल जाए तो, जगत अपना लागे।
हृदय तल आतुर हो, पर ही निज लागे।।

मन की सुन काम करो, हो ना असफल कभी।
दुविधा दूर हो तब, सम रूपी हो सभी ।।

शाम नाम पर हो रहा, असर मन में अपार।
मंगल कुसल शुभ हो, हर सब मन विकार।।

शाम सुमर निश दिन, परम ज्ञान वो पाय।
तब नाम संग जी लगा, सब जग जीवत जाय।।


LopaTheWriter

प्रतिरूप कहानी ---शिक्षा की सखी लोपा ( सीखा)

hi everyone,

After many years, I got the proper meaning of my names. I have written a story on it.


 शिक्षा की सखी लोपा ( सीखा)

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गाँव में नारा लग रहा था-" शिक्षामित्र योजना के तहत सर्वशिक्षा अभियान शूरू कर रहे हैं। सबको समान शिक्षा मिलेगा।" यह बात सुन आठ साल की लोपा ने पढ़ाई को अपना साथी बनाने की मन में ठान लिया। जो लड़की पढ़ाई में अच्छी थी, अच्छे अंक से सबको प्रभावित करती थी, उसे खुद ख़ुद पढ़ाई करना पसंद नहीं था। पता नहीं, नारेबाजी जब लग रही थी, तब वो आवाज़ कुछ तो झकझोर दिया उसके मन में। आँखों में कुछ अठखेलियां करने लगी। चुपचाप रहकर कुछ बातें बड़बड़ाने लगी। उसने अपने आप से जैसे वादा कर लिया कुछ बनकर रहेगी। चिकित्सक बनने को अपने मन को मना लिया। धीरे धीरे वक्त़ बीत गया। वो छोटी सी लड़की से एक युवती बन गई थी। कॉलेज में प्रवेश कर लिया और चिकित्सक बनने के लिए अपनी कलम और स्याही को पढ़ाई में डूबा दिया। पता नहीं, समय के दरिया में छोटी छोटी बातों से जैसे ख़ून, कटी घाव को देख कर बेहोश होने लगी। जब ऐसा बहुत बार हुआ, तो उसने अपना सपना चिकित्सक बनने का त्याग करना चाहा। पर अपनी पढ़ाई पूरी कर आगे बढ़ने की कोशिश करने को ठान लिया। घर की बड़ी बेटी थी, तो जिम्मेदारी से बच पाना मुश्किल था। अपने क़दमों को वो रोकना नहीं चाहती थी। घर के हालात संग ताल मिलाने को तैयार हो गई। जब वो बारवीं में थी, छठी कक्षा की एक लड़के को पढ़ाना शुरू कर दिया। धीरे-धीरे उसके अंदर कूट-कूट कर शिक्षा की बीज बो रही थी।
समय के दरिया बहता गया, उसने अपनी ज़िन्दगी को जीने का अंदाज़ सीख लिया था। समय के लहरों संग वो बहती गई। लड़की है, शादी तो करनी पड़ेगी। बस पढ़ाई ख़त्म हुई नहीं कि हाथ पीले कर दिया गया। आस को अपने दिल में दबा कर रखी थी। उसकी हक़ अदा किसी ने नहीं किया। पर कभी ख़ुद से हार नहीं मानी। जब वो पति के संग पुना चली गई, वहां पर अगल बगल के बच्चों को पढ़ाने लगी। बच्चों को पढ़ाने में उसको जो खुशी होती थी, कि पुछो मत। सबने उसकी आँखों के सपनों को पढ़ा था। जो अच्छे दोस्त मिले, उन्होंने उसको शिक्षिका बनने का सुझाव दिया।
आज वो ग्यारह साल से शिक्षिका को अपना साथी बनाकर एक नई पहचान बनाई है। हर रोज कुछ न कुछ सीखा और सिखाती गई सबको। बच्चों से बहुत प्यार करती थी, तो शिक्षिका बन सबकी चहेती बन गई। जब विद्यार्थी उसकी इज़्ज़त अफ़जाई करते हैं, वो सालों पुरानी बात वो शिक्षा अभियान का सोच मुस्कान भर देती है।
सही है, उसने अपने नाम को सार्थक बनाया है। "सीखा" शिक्षा की शीखा बन सबको रोशनी प्रदान करती है। उम्र का ना दीवार, ना जात-पात का प्रभाव। एक अविरल धारा की तरह बह जाती है। सबको नए विचारों से अवगत कराए वो अपने आप को सशक्त करती जाती है।

लोपामुद्रा (सीखा) की यही है कहानी।


Wednesday, May 18, 2022

Argument or cross answering parents


 *Argument or cross answering parents* 


With the changing time, heart and mind of everyone is changed. The lifestyle, food habits and choices are different in both the generations. The kids are more sensible, emotional and attached towards the materialistic world of technology rather than relationships like siblinghood, respect towards parents and elders. They rely on the technology and engineering like machines. 

Problem comes with a great expectation of being rich or receive good vibes without doing anything fruitful. If parents share their experiences and skills to improvise the kids, they retaliate and back- answer. It's just a situation of insult and humiliation for both. Parents may be adjusted with questions and behavioural tantrums, but kids feel insulted by the parents, if they are asked questions. They don't want to be questioned in any way. They want the freedom, in every way.

The problem is omnipresent now in heart, mind and soul. 

The solution is not there actually. But it can be handled with lots of patience and perseverance. 

* Parents have to be updated with the adolescent behaviour and hormonal changes by reading articles and videos. 

* Questions should not be asked directly to them, instead it would be better if parents behave like friends and explain the pros and cons to them indirectly.

* Though the kid is not showing interest in giving any review or feedback, but he / she must be listening to those words. They are smart enough to maintain silence. 

* Parents need to go with the flow and pace of kids. Make them feel that you are there always for them. 

See they will change their way one day, like a moulding clay.

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LopaTheWriter

Lopamudrapal27

The special person

 The special person

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" Uniqueness in every way,

Frankness at its best day,

Inquisitive in all the way,

Keeps jealousy at a bay. "


It is defining a person, who is my friend, guide, philosopher and inspiration. He was my college friend, who was a meritorious student, a great support, poet, writer and a philosopher. 

As the eldest daughter, I was always restricted with many things and judged everytime. I was craving for the wordly affection rather than discipline factors. When he saw me low, he used to try to make me happy. He told one thing- " Never expect anything from anyone, as expectations are the root cause of all the worries." These words helps me till today to stand against all the odds with strong heart and boldness of mind. He taught me how to handle the situation with a smile. He inspired me to dream big for happy and content life. We discuss each and every moment of life. I was very confident and comfortable with every thing without any hesitation and expectations. 

He wanted to be an Administrative Officer and yes, he is now. His life lessons and words are still with me. He developed lots of patience and perseverance in me with his touch of love. Our love was blooming with lots of respect and mutual understanding. Life's unattachable part, but still a part of mine....is He. He is incredible with empathetic heart. 

The metaphors will be less to explain him and his qualities. 

The divine relationship,

The meaning of everything,

The metaphors of languages,

The credibility of my life.... Is Him.

Sudden Anger issue

 *Sudden Anger issue* 

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Sudden Anger Issue is a natural phenomenon of brain that deals with situation with dilemma and procrastination. Everyone plan something for achieving his/ her goal. But time is not always same for everyone in every situation. It's like " Man proposes God disposes." 

     Now-a-days each and every one leads a busy life with different lifestyle. Within short span of time, you have to many works. Without being panic, One can do it with following tips-

* Prioritise the work accordingly.

* Plan your work and put them into proper schedule. 

* Preparation is required from brain side or note down the tasks on a notepad. 

* Execute it with calm mind. 

* If it's not done, take a long breathe and start over again. 


     Being agitated or tempered will only hamper the work and health. So mental health should be kept in control to do all the tasks on time. If it's not happening, then just leave it and relax. It may not be the time of the thing to happen.

    This is all about the person, who is agitated with sudden change in plans or cannot handle the situation immediately in a controlled manner. As a colleague or friend, we face this kind of people in our regular life. 

It's very common now. Sometimes we console them, that it's fine. But actually it's momentary solution. Being more practical, help the other person by counseling and caring. 

* Talk to the person, what's the reason behind its sudden change in behaviour.

* Go deeply in an empathetic way to solve his/ her problem.

* Be a good guide and friend. 

* It's ok to grab the moment of him / her through your life story ( may be real or imaginative ).

* To connect with the person, be cheerful and patient with positive attitude.


     Situation will change for sure. It may take time, but be a healer for everyone's better future.


 *Patience and perseverance are the key to Happier Life.* 


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LopaTheWriter

Lopamudrapal27