दोहा- भक्ति वंदन
-------------// ईश मेरे शाम //
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ईश तेरा छप छड़ जग, तू जाय कहूं ओर।
तुम बिन यज्ञ तप नाही, तुम संग सब छोर।।
देह मन सब तेरा ईश , तुम सकल आधार।
धन जन मन सब तेरा ईश, ना कोई आकार।।
राधा माधव रास रच, मन मगन सबका हो।
काहे पीड़ा रखे तू, ममता में रमा हो।।
भय ना कर कल की सोच, आज मैं जी जा तू।
फल की आशा ना कर अब, कर्म करता जा तू।।
आशिष मिल जाए तो, जगत अपना लागे।
हृदय तल आतुर हो, पर ही निज लागे।।
मन की सुन काम करो, हो ना असफल कभी।
दुविधा दूर हो तब, सम रूपी हो सभी ।।
शाम नाम पर हो रहा, असर मन में अपार।
मंगल कुसल शुभ हो, हर सब मन विकार।।
शाम सुमर निश दिन, परम ज्ञान वो पाय।
तब नाम संग जी लगा, सब जग जीवत जाय।।
LopaTheWriter
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